मेरी गिरफ्तारी के बाद गांव के एक और अध्यापक रामहर्ष त्रिपाठी हैं। उन्होंने पूछा कि बृजेश कुछ खाए हो। फिर मेरी घबराहट खत्म होने जाने के बाद बातचीत करने लगे। अब मैं नार्मल हो चुका था। कुछ देर रोकने के बाद एसडीएम ने मुझे जेल भेज दिया। यहीं से राममंदिर आंदोलन के लिए मैंने अपने को तैयार कर लिया। अयोध्या में रामलला का मंदिर बनेगा। ऐसा दृढ़ विश्वास था। सन् 1987 से सितंबर 2013 तक 84 कोसी परिक्रमा के लिए मखौड़ा धाम से चले आंदोलन रामज्योति, श्रीरामशिला पूजन, कारसेवा आंदोलन, रामसेतु रक्षा आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई। कहते हैं कि राममंदिर के लिए एक दो बार नहीं बल्कि 4 बार जेल गया।